माँ दुर्गा का सातवां स्वरूप: माँ कालरात्रि की पूजा और महत्व

नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। इन्हें भय और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने वाली देवी माना जाता है। माँ कालरात्रि की आराधना से भक्तों को साहस, शक्ति, मानसिक स्थिरता और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

माँ दुर्गा का सातवां स्वरूप: माँ कालरात्रि की पूजा और महत्व

माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति: माँ कालरात्रि

भारत में नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का प्रतीक है। यह नौ दिवसीय उत्सव शक्ति, भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक उन्नति का पर्व माना जाता है। प्रत्येक दिन माँ दुर्गा का एक अलग स्वरूप पूजनीय होता है, और हर स्वरूप का अपना विशेष महत्व होता है।

नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि को शत्रुओं का नाश करने वाली और भक्तों के जीवन से भय और अंधकार दूर करने वाली देवी माना जाता है। उनके दर्शन मात्र से भक्तों का हर भय दूर हो जाता है और जीवन में साहस, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


माँ कालरात्रि का स्वरूप

माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत भयानक और शक्तिशाली है।

  • उनके दो हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में वरद मुद्रा है।

  • उनका रंग काला है, जो शक्ति और भय का प्रतीक है।

  • वे सिंह या शेर पर सवार होती हैं।

  • उनके मुख पर भयावह मुस्कान है जो असुरों और नकारात्मक शक्तियों का संहार करती है।

  • उनके इस स्वरूप में भक्तों का सभी प्रकार के भय और संकट से उद्धार होता है।

माँ कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में डर, नकारात्मकता और सभी प्रकार की बुराइयों का नाश होता है।


नाम की उत्पत्ति

"कालरात्रि" नाम दो शब्दों से बना है:

  • काल = अंधकार या मृत्यु

  • रात्रि = रात

अर्थात माँ कालरात्रि अंधकार और नकारात्मक शक्तियों की रात को नष्ट करने वाली देवी हैं।


नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा का महत्व

सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह स्वरूप शक्ति और साहस का प्रतीक है।

  • इस दिन पूजा करने से मानसिक भय और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

  • भक्तों को साहस, आत्मबल और जीवन में नई ऊर्जा प्राप्त होती है।

  • माँ कालरात्रि की पूजा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

  • यह स्वरूप सभी प्रकार के शत्रुओं और बाधाओं से रक्षा करता है।

  • साधक की आध्यात्मिक उन्नति में भी यह दिन अत्यंत फलदायी होता है।


माँ कालरात्रि की कथा

पुराणों के अनुसार, जब देवताओं ने असुरों के आतंक और अत्याचार से परेशान होकर माँ दुर्गा से सहायता मांगी, तब माँ ने अपने कालरात्रि स्वरूप का आविर्भाव किया।

माँ कालरात्रि ने अपनी भयानक शक्ति और तलवार से असुरों का संहार किया। उनकी भयानक मूर्ति देखकर सभी असुर भयभीत हो गए और उनका नाश हो गया।

माँ कालरात्रि का यह स्वरूप शक्ति और साहस का प्रतीक है। उनके दर्शन मात्र से भक्तों का भय दूर होता है और जीवन में नई ऊर्जा आती है।


पूजा विधि (Puja Vidhi)

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा इस प्रकार करें:

  1. स्नान और शुद्धि – सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. मूर्ति/चित्र स्थापना – माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को लाल या काले वस्त्र से सजाएँ।

  3. सामग्री – लाल और काले फूल, धूप, दीपक, चंदन, अक्षत, नारियल और भोग सामग्री रखें।

  4. ध्यान और आवाहन – माता का ध्यान करते हुए आवाहन करें।

  5. मंत्र जाप

    • "ॐ देवी कालरात्र्यै नमः"

    • 108 बार जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

  6. भोग अर्पण – फल, मिठाई और नैवेद्य माता को अर्पित करें।

  7. आरती और प्रार्थना – आरती करें और जीवन में साहस, शक्ति और समृद्धि की प्रार्थना करें।


इस दिन का शुभ रंग

नवरात्रि के सातवें दिन का रंग काला (Black) माना गया है। यह रंग शक्ति, साहस और नकारात्मकता के नाश का प्रतीक है। भक्त इस दिन काले रंग के वस्त्र पहनकर माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं।


माँ कालरात्रि की उपासना से लाभ

माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्त को कई लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति

  • आत्मबल और साहस

  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार

  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि

  • आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक स्थिरता

माँ कालरात्रि की आराधना से जीवन की सभी बाधाएँ और शत्रु भय समाप्त हो जाते हैं।


आधुनिक जीवन में माँ कालरात्रि का संदेश

आज के समय में तनाव, भय और असुरक्षा आम समस्याएँ बन गई हैं। माँ कालरात्रि हमें यह सिखाती हैं कि:

  • हर भय और नकारात्मकता का नाश शक्ति और साहस से किया जा सकता है।

  • भक्ति और श्रद्धा से मानसिक शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।

  • माँ की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है।


निष्कर्ष

नवरात्रि का सातवां दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। यह स्वरूप भय, अंधकार और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाला है।

माँ कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में साहस, शक्ति, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है। उनके दर्शन मात्र से भक्त का हर भय दूर होता है और जीवन में उजाला और आनंद आता है।

जय माँ कालरात्रि! 

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